कर्मवीर अभिकर्ता साथियों, आल इण्डिया लाइफ इन्श्योरेन्स एजेन्टस एसोसिएशन सम्पूर्ण भारत में मात्र एक संगठन जो कि विधिक अधिकार प्राप्त संगठन है जिसका रजि0 नं0 1346 है। जो अभिकर्ता हितों में निरन्तर अग्रसर हो आन्दोलनरत है। संगठन के केन्द्रीय कार्यकारिणी द्वारा सम्मेलन स्थल पर पधारे समस्त अभिकर्ताओं का हार्दिक स्वागत् एवम् अभिनन्दन है।
पहला संगठन जिसने अभिकर्ता हितों के ध्यानगत 2003-2004 में भारतीय जीवन बीमा निगम को 22 सुत्रीय चार्टर ऑफ डिमाण्ड सौंपा। प्रबन्धन के उपेक्षात्मक रवैया के विरूद्ध तथा चन्द अभिकर्ताओं के संगठन विरोधी गतिविधियों के बावजद उपरोक्त संगठन ने अपने अभिकर्ता हितों के लिए सतत आन्दोलन जारी रखा। आन्दोलनात्मक पहल के अन्तर्गत हजारों अभिकर्ताओं के साथ 08.06.2009 को भारतीय जीवन बीमा निगम स्थित उत्तर मध्य क्षेत्रीय कार्यालय कानपुर में विशाल एक दिवसीय धरना का आयोजन किया तथा क्षेत्रीय प्रबन्धक उत्तर मध्य क्षेत्र को चार्टर आफ डिमाण्ड CLIA स्कीम 2008 तथा 1972 एजेन्ट्स रेगुलेशन एवम् क्लब सदस्यता मानक में परिवर्तन को लेकर आपत्ति दर्ज कराते हुए अध्यक्ष भारतीय जीवन बीमा निगम को पत्र दिया।
साथियों, 16 सितम्बर 2009 को पी0एफ0आर0डी0 के अध्यक्ष डी0 स्वरूप की कमेटी ने अभिकर्ताओं का कमीशन 2011 में समाप्त करने की पेशकश भारत सरकार से की थी। संगठन के जांबाज सिपाहियों ने उनके चुनौती को स्वीकार करते हुए अभिकर्ता हितों के रक्षार्थ पहल करते हुए वित्तमन्त्री भारत सरकार श्री प्रणव मुखर्जी को उपरोक्त पहले के दुष्प्रभाव को दर्शाते हुए पत्र लिखा कि उक्त पहल से 50 लाख अभिकर्ताओं के सामने रोजी रोटी की समस्या खड़ी होगी तथा एशिया की सबसे बड़ी वित्तीय संस्था के अन्दर भूचाल होगा जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था चरमरा जायेगी। संदर्भित पत्र को संज्ञान में लेते हुए वित्त मन्त्रालय ने डी० स्वरूप कमेटी के रिपोर्ट पर विराम लगा दिया लेकिन साथियों खुशी को बड़ा झटका तब लगा जबकि भारत सरकार के नीतियों के अन्दर खोट प्रदर्शित हुआ, जबकि सरकार द्वारा एच0एल0सी0सी0 के रूप में दूसरी सरकारी समिति बनायी गयी जिसका विरोध संगठन ने 26.01.2010 को संप्रग अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी माननीय प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह एवम वित्तमंत्री भारत सरकार श्री प्रणव मखर्जी को पत्र लिखकर एवं मिलकर किया और अपना पक्ष रखते हए यह कहा कि इस तरह की समितियों की रिपोर्ट निश्चित रूप से न तो समाज हित में है और न ही देश हित में। साथियों, तमाम पत्राचार तथा बैठकों के बावजूद प्रबन्धक की नीतियां अभिकर्ताओं के हितों के विपरीत रही। कारण चार्टर आफ डिमाण्ड पर अब तक कोई निर्णय न लेना। CLIA संशोधन प्रस्ताव पर विचार न करना 1972 रेगुलशन एवम सदस्यता के सन्दर्भित संगठन के सुझावों पर अमल न करना।
साथियों समस्त पहलों को ध्यानगत सन्तोषजनक जवाब समस्त पहलों को ध्यानगत सन्तोषजनक जबाब न मिलने की स्थिति में दिनाक 19.10.2010 को सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत 8 बिन्दुओं पर अध्यक्ष भारतीय जीवन बीमा निगम से संगठन ने सूचना मांगा था तत्पश्चात् दिनांक 26.10.2010 को कार्यकारी निदेशक ने संगठन आल इण्डिया लाइफ इन्श्योरेन्स एजेन्ट्स एसोसिएशन को पत्र लिखकर सूचित किया है कि पत्रों का अध्ययन जारी है तथा निर्धारित समय के अन्दर जबाब दिया जायेगा।
कार्यकारी निदेशक का जबाब दिनांक 12.12.2010 तक प्राप्त न होने की स्थिति में संगठन ने 13.12.2010 को पत्रक लिखा। तत्पश्चात अभिकर्ताओं को जागरूक करने का अभियान पूरे देश में चलता रहा। प्रबन्धक के नकारात्मक सोच के कारण संगठन को दिनांक 10.10.2011 को आन्दोलनात्मक कार्यवाही के अन्तर्गत मण्डल कार्यालयों पर अनिश्चित कालीन धरना-प्रदर्शन का निर्णय लेना पड़ा जिसकी सूचना दिनांक 19.09.2011 को अध्यक्ष भारतीय जीवन बीमा निगम को दी गयी। यह आन्दोलन 14.10.2011 तक चला जो कि 15.10.2011 से प्रबन्धक के साथ असहयोग आन्दोलन में परिवर्तित हो गया। जो कि 08.01.2011 तक अनवरत चला। तत्पश्चात 09.01.2012 को संगठन द्वारा क्षेत्रीय कार्यालय उत्तर मध्य क्षेत्र कानपुर पर होने वाला एक दिवसीय धरना प्रदर्शन अपरिहार्य कारणों से स्थगित किया गया
आन्दोलन की रणनीति के अन्तर्गत अभिकर्ता लगातार प्रयासरत रहें, तब तक प्रबन्धन द्वारा सन् 2000 के पूर्व की सभी पालिसियों को बन्द करने का फरमान जारी किया गया। जिसका विरोध करते हुए संगठन ने 13.08.2012 को अध्यक्ष भारतीय जीवन बीमा निगम को पत्रक दिया जिसमें चार्टर आफ डिमाण्ड के मांग सहित सन् 2000 के पूर्व की पालिसियों को बन्द करने के निर्णय को वापस लेने का अनुरोध संगठन ने प्रबन्धन से किया। लेकिन प्रबन्धन की कोई पहल 31.08.12 तक नहीं हुई। कारण कि संगठन द्वारा अध्यक्ष भारतीय जीवन बीमा निगम को पत्रक देने के पश्चात पूर्व का स्थगित आन्दोलन 01.09.2012 से अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन के रूप में मण्डल कार्यालयों पर आरम्भ हुआ जो कि लगातार 09.09.2012 तक चला। तत्पश्चात् दिनांक 10.09.2012 को आक्रोशित अभिकर्ताओं ने आन्दोलन के दौरान अध्यक्ष भारतीय जीवन बीमा निगम का पुतला दहन किया तथा दिनांक 11.12.2012 को अभिकर्ताओं द्वारा मोटर साइकिल जूलुस निकालकर अपने-अपने शहरों में प्रबन्धक का विरोध कराया गया। इसके पश्चात 13.09.2012 को अध्यक्ष भारतीय जीवन बीमा निगम के प्रतिनिधि के रूप में वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धकों ने अभिकर्ताओं का मांग पत्र लेते हुए प्रमाणिक आधार दिया तथा अध्यक्ष भारतीय जीवन बीमा निगम को भेजने का आश्वासन दिया।
तत्पश्चात् IRDA/ACP/CIR/PRD/119/06/2013-14 CEOS of लाइफ इन्श्योरेन्स कम्पनीज के अन्तर्गत सर्कुलर जारी कर पालिसियों का जोखिम कम करते हुए लोकप्रिय पालिसियों को बन्द करते हुए 4प्र0 ब्याज की गारण्टी सहित सर्विस टैक्स के रूप में 3.09प्र0 का भार पालिसीधारकों पर थोप दिया। जिसका विरोध करते हुए संगठन ने दिनांक 23.09.2013 को बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण हैदराबाद को दिनांक 23.09.2013 को विरोध दर्ज कराते हुए पत्रक दिया गया, तत्पश्चात सर्विस टैक्स को लेकर आल इण्डिया लाइफ इन्श्योरेन्स एजेन्द्स एसोसिएशन द्वारा जिला मुख्यालयों पर एकदिवसीय धरना प्रदर्शन करते हुए मार्फत जिलाधिकारी पत्रक भारत सरकार को दिया गया। संगठन द्वारा 02.03.2015 को 49प्र0 एफडीआई को लेकर मण्डल कार्यालयों पर धरना प्रदर्शन किया गया। तत्पश्चात दिनांक 09.03.2015 को भारत सरकार के प्रधानमंत्री मानवीय नरेन्द्र मोदी को सर्विस टैक्स वापसी की मांग सहित भारतीय जीवन बीमा निगम प्रबन्धन के विरूद्ध चल रहे आन्दोलनात्मक कार्यवाही की प्रमाणिक प्रतियों सहित 94 पन्नों का ज्ञापन प्रधानमंत्री जनसंपर्क कार्यालय के माध्यम से भेजा गया जिसमें हजारों अभिकर्ताओं ने भाग लिया।
पुनः स्मृति पत्र दिनांक 1 0.04.2015 को सौंपा गया। किसी भी तरह की सकारात्मक पहल न होने के कारण संगठन द्वारा सरकार के विरूद्ध आन्दोलनात्मक कार्यवाही आरम्भ हुई जिसके अन्तर्गत 24.08.2015 से वाराणसी सहित सभी शाखाओं के अभिकर्ताओं ने अलग-अलग मोटर साइकिल जूलुस निकालकर सरकार का विरोध करते हुए सर्विस टैक्स वापसी की मांग का ज्ञापन प्रधानमंत्री जनसम्पर्क कार्यालय के माध्यम से भारत सरकार को दिया गया। यह प्रक्रिया 24.08.2015 तक चली। तत्पश्चात आन्दोलनात्मक कार्यवाही को आगे बढ़ाते हुए 25.08.2015 से सभी शाखाओं के अभिकर्ताओं ने भोजनावकाश के समय शाखा कार्यालय गेट पर लगातार प्रदर्शन दिनांक 31.08.2015 तक किया। तत्पश्चात 01.09. 2015 से 03.09.2015 तक काला दिवस मनाते हुए भारत सरकार का विरोध प्रदर्शन किया गया।
साथियों, आपसे अनुरोध है कल नहीं, आज नहीं, अभी से आप आल इण्डिया लाइफ इन्श्योरेन्स एजेन्ट्स एसोसिएशन से जुड़े स्वयं के रूप में पैटर्न मेम्बर फीस जमाकर शाखा के रूप में सम्बद्धता शुल्क जमाकर डिवीजन के रूप में तथा जोन के रूप में आल इण्डिया लाइफ इन्श्योरेन्स एजेन्ट्स एसोसिएशन से सम्बद्धता लेकर गौरव प्राप्त करें।
1. एस0एल0 ठाकुर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, वाराणसी (9839269579)
2. के0के0 अग्रवाल, राष्ट्रीय महासचिव, नई दिल्लीन (09891007261)
3. आर0के0 त्रिपाठी, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष, वाराणसी (9415286937)
एक संगठन जिसका गठन हुआ कलकत्ता में 1964 में, वह था गैर पंजीकृत संगठन, जिसको कानूनी अधिकार प्राप्त नहीं। लाइफ इन्श्योरेंश एजेन्ट्स फेडरेशन आफ इण्डिया (लियाफी) उक्त संगठन 1996 में दो भागों में विभाजित हुआ। एक संगठन दो राष्ट्रीय अध्यक्ष, क्या कांग्रेस पार्टी हो या भाजपा या भा.जी.बी.नि. एक संगठन एक पार्टी या एक संस्था के दो राष्ट्रीय अध्यक्ष हो सकते हैं, सोचनीय पहलू।
यह अभिकर्ताओं के साथ धोखा नहीं तो और क्याज। अवैधानिक रूप से कार्यरत संगठन द्वारा क्यास कभी प्रबन्धन भा.जी.बी.नि. को चार्टर आफ डिमाण्ड प्रेषित किया गया। अगर हाँ तो जाने उनकी लड़ाई लोकतान्त्रिक रूप सहित कानूनी रूप से कब-कब हुई, कितने आन्दोलन हुए। क्या इनकी समस्त मांगे मान ली जाती है।
संगठन के एक भाग द्वारा सन् 2000 से पंजीकरण का दावा किया जाता है। फिर दूसरा भाग उसी नाम एवम लोगों का इस्तेमाल कैसे करता है। (विश्वस्त सूत्रों द्वारा ज्ञात)
दोनों संगठन विवादित जिनका विवाद नागपुर कोट में विचाराधीन तो फिर सोचनीय प्रश्न बैनर के तहत अभिकर्ताओं की भलाई कैसे। निर्णय आपका गैर विवादित सहित पंजीकृत संगठन आल इण्डिया लाइफ इंश्योरेंस एजेन्ट्स एसोसिएशन पंजीकरण संख्या 1346 अभिकर्ता हितो में अग्रसर आज ही सदस्य बन गर्व महसूस करें।