शालीनता, मर्यादा और संयम किसी भी व्यक्ति या प्रोफेशन के लिए सर्वाधिक अहम सिद्धांत होते हैं, जो न केवल व्यक्तिगत गरिमा को बरकरार रखते हैं अपितु दीर्घकालीन प्रगति के लिए किसी संगठन को मजबूती देने का भी काम करते हैं लेकिन लगता है अपने 15 साल के कार्यकाल में "शालीनता व संस्कार" न तो राजद सुप्रीमो खुद ही सीख पाये न अपने नेताओं को सिखा पाए। बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में इसी का स्पष्ट प्रमाण मिला, जब शराबबंदी को लेकर राजद विधायक भाई वीरेंद्र और भाजपा विधायक संजय सरावगी के बीच बहस हो गई और संसद का माहौल पूरी तरह गरमा गया।
बात बहस तक हो तो फिर भी जायज कही जा सकती है लेकिन राजद विधायक तो सदन की गरिमा को भी बिसरा बैठे और पूरी तरह से आगबबूला होकर गालियों का पिटारा खोल दिया। राजद विधायक के द्वारा भाजपा के विधायक को "मिलावटी पैदाइश" से लेकर तमाम ऐसी भद्दी भद्दी गालियां भी दी गई, जिन्हें शब्दों में बयान भी नहीं जा सकता। संसद में मौजूद पत्रकारों को लड़ाई के बीच आना पड़ा और दोनों नेताओं को अलग अलग किया गया।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जदयू दिल्ली प्रदेश से महासचिव व युवा प्रभारी अमल कुमार के साथ साथ सभी प्रमुख जदयू नेताओं ने कहा कि राजद का जो संस्कार है वह उनके विधायक भाई वीरेंद्र ने दिखा दिया। दरअसल, राजद को लूट-खसोट, हत्या, अपहरण की शिक्षा-दीक्षा विरासत में मिली है, तो उनसे गाली गलौज की ही अपेक्षा की जा सकती है, वह क्यों भला सदन की गरिमा को समझे या किसी की मर्यादा को। जैसा संस्कार पाया है, वही बांच रहे हैं। इसके साथ ही अमल कुमार ने कहा,
"किसी भी व्यक्ति के पास जो होता है, वही वह दूसरों तक पहुंचाता भी है। राजद नेता भी अपने इन्हीं कुसंस्कारों का वितरण लोगों के मध्य कर रहे हैं। आज के दौर में राजनीति का जो औछा पक्ष सामने आ रहा है, उससे स्पष्ट है कि एक दिन जनता स्वयं ही ऐसे मर्यादाविहीन नेताओं को सिरे से नकार देगी। हमारे माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के ऐसे प्रथम नेता हैं, जिन्होंने बिना राजस्व की परवाह करते हुए शराबबंदी को बिहार में क्रियान्वित किया है। ऐसे गौरवशाली व्यक्तित्व के धनी माननीय नीतीश जी न केवल हम सभी कार्यकर्ताओं बल्कि देश के हर नागरिक के लिए आदर्श हैं और हमें गर्व है कि बिहारवासियों के मान-सम्मान की जिम्मेदारी ऐसे सशक्त कंधों पर है।"